अवैध रेत खनन पर दुर्गा शक्ति इफेक्ट से बढ़ेंगे घरों के दाम

The acute shortage of the material that makes for about 10-15% of the construction cost in any housing project could also delay an array of projects under construction.
खनन माफिया खिलाफ सख्ती की वजह से रेत की कीमत बढ़ी।
रवि तेजा शर्मा
नई दिल्ली।।
रेत खनन माफिया के खिलाफ अभियान के चलते कथित तौर पर पहले युवा आईएएस अधिकारी दुर्गाशक्ति के निलंबन और फिर मामले के व्यापक मीडिया कवरेज के बाद रेत की कीमत में भारी बढ़ोतरी हुई है। इकनॉमिक टाइम्स ने जिन डिवेलपर्स, सप्लायर्स और सैंड माइनर्स से बात की, सभी ने कहा कि नैशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल के पिछले हफ्ते के आदेश से रेत खनन पर नेगेटिव असर हुआ है। पर्यावरण संबंधी मामलों के फटाफट निपटारे के लिए ऐक्ट ऑफ पार्लियामेंट के तहत बने फास्ट ट्रैक कोर्ट नैशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल ने इन्वाइरनमेंटल क्लीयरेंस के बिना रिवरबेड में रेत खनन पर रोक लगा दी है।

इसके चलते राज्य सरकार के लाइसेंसधारी सैंड माइनर्स को भी अपना कामकाज रोक कर यूनियन मिनिस्ट्री ऑफ इन्वाइरनमेंट ऐंड फॉरेस्ट्स या स्टेट इन्वाइरनमेंट असेसमेंट अथॉरिटी के पास क्लीयरेंस के लिए अप्लाई करना पड़ रहा है। इसमें कम से कम 30 से 60 दिन का वक्त लग सकता है। इंडस्ट्री प्लेयर्स को लगता है कि इसके चलते मकानों की कीमत में 10 फीसदी तक की बढ़ोतरी हो सकती है। रेत की किल्लत के चलते कई अंडर कंस्ट्रक्शन प्रॉजेक्ट्स में देरी हो सकती है। मकान बनाने में लगभग 10 से 15 फीसदी का खर्च रेत पर होता है। कन्फेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डिवलपर्स असोसिएशन ऑफ इंडिया के चेयरमैन और पुणे के डिवेलपर्स कुमार अर्बन डिवेलपमेंट के मैनेजिंग डायरेक्टर ललित कुमार जैन कहते हैं, 'रेत की किल्लत से कई प्रॉजेक्ट में काम पहले ही सुस्त पड़ चुका है। जो रेत है, वह बहुत महंगी हो गई है।'

डिवेलपर्स और कॉन्ट्रैक्टर्स का कहना है कि रेत की कीमत पहले ही 20-30 फीसदी चढ़ चुकी है। एनसीआर में इसकी कीमत 37 रुपए प्रति वर्ग फुट से बढ़कर 45 रुपए हो गई है। मुंबई में इसका दाम 80 रुपए से बढ़कर 100 रुपए प्रति वर्ग फुट हो गया है। कई लीडिंग डिवेलपर्स के लिए थर्ड पार्टी कॉन्ट्रैक्टिंग करने वाले अहलूवालिया कॉन्ट्रैक्ट्स के एक्जेक्युटिव डायरेक्टर एस. के. सचदेवा कहते हैं, 'हमारा कोई भी रेत सप्लायर सप्लाई का भरोसा देने को तैयार नहीं है। हर डिलिवरी पर रेत की कीमत बदल रही है।' प्रॉपर्टी अडवाइजरी फर्म सीबीआरई के मैनेजिंग डायरेक्टर अंशुमान मैगजीन बताते हैं कि डिवेलपर्स रेत की ऊंची कीमत और प्रॉजेक्ट में देरी से कॉस्ट में बढ़ोतरी का बोझ कस्टमर पर डाल सकते हैं। उन्हें लगता है कि मुंबई और एनसीआर जैसी लोकेशन पर सेल्स स्लो होने से डिवेलपर्स प्राइस बढ़ाने की हालत में नहीं होंगे। ऐसे में उनके मार्जिन पर प्रेशर बन सकता है। हालांकि, बेंगलुरु में स्ट्रॉन्ग डिमांड को देखते हुए डिवेलपर्स दाम में मामूली बढ़ोतरी कर सकते हैं।