अगले हफ्ते संसद में गूंजेगा एनएसईएल मामला

Much to the disappointment of a few investors and brokers, the FMC directed NSEL to upload the settlement calendar on its website.
NSEL मामला अब संसद में।
राम सहगल
मुंबई।।
नैशनल स्पॉट एक्सचेंज (एनएसईएल) में पेमेंट क्राइसिस का मुद्दा अगले हफ्ते संसद में उठने की उम्मीद है। कमोडिटी मार्केट रेगुलेटर के एक्सचेंज के पेमेंट शेड्यूल को मंजूरी देने से पहले इस पर जनता की राय मांगने के बाद भविष्य के कदम के बारे में पूछने पर कंज्यूमर अफेयर्स मिनिस्टर के. वी. थॉमस ने कहा, 'एनएसईएल का मुद्दा मंगलवार को संसद में उठाया जाएगा। इसलिए मैं संबंधित मिनिस्ट्री से बात किए बिना कोई जानकारी नहीं दे सकता।'

इन्वेस्टर्स और ब्रोकर्स को उम्मीद थी कि फॉरवर्ड मार्केट्स कमिशन (एफएमसी) बुधवार को एनएसईएल के 5,500 करोड़ रुपए के पेमेंट के प्लान को मंजूरी दे देगा, लेकिन कमिशन ने एक्सचेंज को अपनी वेबसाइट पर सेटलमेंट का शेड्यूल अपलोड करने का निर्देश दे दिया। एफएमसी चेयरमैन रमेश अभिषेक ने कहा कि रेगुलेटर ने इस प्लान को न तो मंजूरी दी है और न ही इसे अस्वीकार किया है।

एनएसईएल की प्रमोटर फाइनैंशल टेक्नॉलजीज, एक्सचेंज के एमडी ऐंड सीईओ अंजनि सिन्हा और ब्रोकर्स के साथ ही सरकार पर भी इस क्राइसिस के लिए जिम्मेदार होने का आरोप लग रहा है। एफएमसी ने पिछले साल एक रिपोर्ट में चेतावनी दी थी कि एनएसईएल शॉर्ट सेल्स की इजाजत देकर और स्पॉट मार्केट्स के 11 दिन के टेन्योर से ज्यादा के कॉन्ट्रैक्ट्स चलाकर स्पॉट मार्केट के रूल्स का उल्लंघन कर रहा है।

थॉमस ने अपनी मिनिस्ट्री के समय पर कार्रवाई न करने को लेकर कोई जवाब देने से इनकार कर दिया। सेबी के पूर्व डायरेक्टर और इंस्टिट्यूट ऑफ कंपनी सेक्रेटरीज ऑफ इंडिया के सेक्रेटरी एम. एस. साहू ने कहा, 'जनता या समाज को नुकसान पहुंचाने की संभावना रखने वाली प्रत्येक पब्लिक ऐक्टिविटी को रेगुलेट करना सरकार का काम है। एनएसईएल के कॉन्ट्रैक्ट्स में कुछ कमियां थीं।' सेटलमेंट का शेड्यूल तय न करने की वजह से मार्केट से जुड़े कुछ लोगों और इन्वेस्टर्स ने बुधवार को एफएमसी की निंदा की थी।

हालांकि, एफएमसी के पूर्व चेयरमैन बी. सी. खटुआ का कहना है कि रेगुलेटर पर आरोप नहीं लगाया जाना चाहिए, क्योंकि उसके पास स्पॉट एक्सचेंजों को रेगुलेट करने का कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है। साहू ने स्थिति संभालने को लेकर एफएमसी की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कमोडिटी मार्केट रेगुलेटर के पास जरूरी पावर नहीं है। उन्होंने बताया, 'एफएमसी की सीमित जिम्मेदारी है। यह केवल फॉरवर्ड मार्केट्स पर निगरानी रखता है। इसके पास सीमित शक्तियां हैं। इसे कोई भी प्रभावी कदम उठाने के लिए केंद्र सरकार या मजिस्ट्रेट की सहायता लेनी होगी। इन सबके बावजूद एफएमसी अच्छा काम कर रहा है।'