जॉब मार्केट पर संकट के बादल

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श्रीराधा डी बसु/देविना सेनगुप्ता
मुंबई/ बेंगलुरु।।
जॉब मार्केट पर संकट के बादल पहले से मंडरा रहे हैं। कई सेक्टरों में हायरिंग रुकी हुई है। आने वाले दिनों में हालात और खराब हो सकते हैं। कई रिक्रूटमेंट फर्मों के एग्जेक्युटिव्स की मानें, तो आने वाले दिनों में रिप्लेसमेंट और जरूरत बेस्ड हायरिंग भी आसान नहीं होगी।

एबीसी कंसल्टेंट्स के मैनेजिंग डायरेक्टर शिव अग्रवाल ने बताया, 'तकरीबन सभी इंडस्ट्री में जॉब की हालत बेहद खराब है। पिछले एक साल में जॉब मार्केट में 20-25 फीसदी की गिरावट आई है। सबसे ज्यादा असर मिड और एंट्री लेवल पर हुआ है।' एडेको इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर सुधाकर बालाकृष्णन ने बताया, 'अगली दो क्वॉर्टर्स हायरिंग के लिए बेहद मुश्किल होंगे। अगर अक्टूबर-दिसंबर क्वॉर्टर का परफॉर्मेंस दो साल में सबसे खराब रहता है, तो मुझे हैरानी नहीं होगी।'

जॉब फ्रीज होने की कई वजहें हैं। इनमें स्लोडाउन, डॉलर के मुकाबले रुपए में भारी गिरावट, पॉलिसी फ्रंट पर पिक्चर क्लीयर नहीं होना और खराब इन्वेस्टमेंट क्लाइमेट शामिल हैं। हालांकि, कोई भी सेक्टर इकनॉमिक स्लोडाउन से सेफ नहीं है, लेकिन सबसे ज्यादा मार ऑटोमोबाइल, बीएफएसआई, मैन्यूफैक्चरिंग, टेलिकॉम, इन्फ्रास्ट्रक्चर और इंफर्मेशन टेक्नॉलजी पर पड़ी है। टीम-लीज सर्विसेज के चेयरमैन मनीष सब्बरवाल के मुताबिक, सेल्स, कस्टमर सर्विस और लॉजिस्टिक्स में अब तक जॉब मार्केट की हालत ठीक है। उन्होंने बताया, 'पिछले कुछ समय से फाइनैंशल सर्विसेज, इन्फ्रास्ट्रक्टचर और टेलिकॉम में हालात बहुत खराब हैं।'

आइक्या ह्यूमन कैपिटल सॉल्यूशंस के चेयरमैन और एमडी अजीत आइजैक के मुताबिक, परमानेंट हायरिंग के मामले में हालात कमोबेश 2008 जैसे हैं, जब स्लोडाउन पीक पर था। यह कंपनी खास तौर पर आईटी सेक्टर में भर्तियां करती है। उन्होंने बताया, 'कंपनियां परमानेंट लोगों की भर्ती नहीं कर रही हैं और सिर्फ अस्थायी एंप्लॉयीज से काम चला रही हैं।' पिछले हफ्ते फिक्की की प्रेजिडेंट नैना लाल किदवई ने सरकार को बड़े पैमाने पर छंटनी और नई भर्तियों पर रोक की चेतावनी दी थी। फिक्की और एसोचैम के सर्वे में भर्ती में गिरावट की आशंका जताई गई है, जबकि नैस्कॉम ने इस फिस्कल इयर में हायरिंग में 17 फीसदी की गिरावट का अंदेशा जताया है।

हाई इंटरेस्ट रेट और इकनॉमिक स्लोडाउन से जूझ रहीं इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनियों ने लागत घटाने के लिए एंप्लॉयीज की संख्या घटाई है। हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन, रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर और सूजलॉन एनर्जी सहित कई कंपनियों ने मैनपावर में कमी की है। नए लोगों की भर्ती में कंपनियां काफी सावधानी बरत रही हैं और सिर्फ अहम रिप्लेसमेंट के लिए ही नई भर्ती की जा रही है। जीएमआर के प्रवक्ता ने बताया, 'चूंकि हमारी कुछ कंपनियों के कई प्रॉजेक्ट हाल के महीनों में पूरे हुए हैं, लिहाजा टैलेंट को इन प्रॉजेक्ट से हटाकर कंपनी के दूसरे कामकाज में लगाया जा रहा है।' इन्वेस्टमेंट बैंकर्स के लिए जॉब मार्केट अचानक से ठंडा पड़ गया है। डील की संख्या और फीस में कमी से बैंकों ने अपने ऑपरेशन को टिकाऊ बनाए रखने के लिए टीम साइज को कम किया है।